मैंने नज़रें उठाकर चारों ओर देखा। अरे बाप रे! भीड़ तो समरूप बिल्कुल भी नही थी जैसा कि मैंने अब तक मा... मैंने नज़रें उठाकर चारों ओर देखा। अरे बाप रे! भीड़ तो समरूप बिल्कुल भी नही थी जै...
यह कहानी मेरी दूसरी पुस्तक "कयामत की रात" से है जो कि एमाज़ॉन किंडल पर उपलब्ध है। यह एक सत्य घटना पर ... यह कहानी मेरी दूसरी पुस्तक "कयामत की रात" से है जो कि एमाज़ॉन किंडल पर उपलब्ध है।...
पर उनके अनुभव हमें पल पल महत्वपूर्ण सीख देते रहते हैं..!! पर उनके अनुभव हमें पल पल महत्वपूर्ण सीख देते रहते हैं..!!
नीरज ने भी हाथ हिलाया और अलविदा कहकर निकल गया। दोनों को कल मिलना था....... नीरज ने भी हाथ हिलाया और अलविदा कहकर निकल गया। दोनों को कल मिलना था.......
वे जीवन के हर लम्हो में दुख हो सुख हो एक दूसरे के साथ हर घड़ी रहते थे। वे जीवन के हर लम्हो में दुख हो सुख हो एक दूसरे के साथ हर घड़ी रहते थे।
अपने सुर "सस्वी-पुन्नु" में बहुत मारमिक अंदाज में पेश किया है। अपने सुर "सस्वी-पुन्नु" में बहुत मारमिक अंदाज में पेश किया है।